मजहब, जात-पात देखकर मदद न करें
मौलाना तहजीबुल हसन रिज़वी ने कहा कि हजरत अली ने फरमाया है कि किसी की मदद मजहब, जात, बिरादरी पूछकर न करें, क्योंकि इससे अल्लाह नाराज होता है. उन्होंने इंसानियत को प्राथमिकता देने पर जोर दिया. कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत-ए-कलाम पाक से हुई. सोजखानी सैयद अता इमाम रिजवी ने की, जबकि पेशखानी अमोद अब्बास, यावर हुसैन गाजीपुरी, यूनुस रजा और निहाल हुसैन सरियावी ने की. मस्जिद परिसर "या अली" की सदाओं से गूंज उठा. बताया गया कि शुक्रवार की रात 10 बजे मस्जिद जाफरिया परिसर से हजरत अली की शहादत की याद में मातमी जुलूस निकलेगा. यह जुलूस मस्जिद से निकलकर विक्रांत चौक, कर्बला चौक होते हुए कर्बला पर संपन्न होगा. तीन दिवसीय कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मेंहदी इमाम और जफरुल हसन ने किया. इसे भी पढ़ें – सोनिया">https://lagatar.in/sonia-gandhi-akhilesh-yadav-jaya-bachchan-mamta-banerjee-attended-iftar-party/">सोनियागांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव, जया बच्चन, ममता बनर्जी इफ्तार पार्टी में शामिल हुए